मंगलवार, 5 अक्टूबर 2010
आज-कल
सोनू तुझे क्या हो गया है। आज कल logon se मिलना जुलना कम कर दिए हो? apne पास कोई mobile रखते ही नही,नही to ham phon करते.मेरा नंबर मालूम हैं न ,फोन किया करो यार। लगता है हमलोगों को भूलते जा रहे हो? शायद यही कहते होंगे मेरे दोस्त। पर हे मेरे मित्रों ऐसी बात नही है। अक्सर तुमलोग हमें याद आये हो। मेरे साथ रहने वाले लोगों से कभी मिल कर देखो,पताचल जायेगा ,कितना तुम्हे याद करते हैं। तुमसे जुढ़ी बातें मै उन्हें कितने प्यार से सुनाता हूँ। मैं वैसा प्रयास कर रहा हूँ मेरे दोस्त कि आने वाले दिनों में मेरे पास फोन हो, एवं मैं तुमसे जुड़ा rahoon। आजकल मुझे सुबह उठकर रोटियां बेलनी परती है। मै अब अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता हूँ.
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ye jaruri hai dost.....apne pairo pr khade hone ke pahle pairo ko majbut kiya jata hai.......aur abhi waqt vaisa hi hai...
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