रविवार, 21 नवंबर 2010

ये हैं हमारे स्कूल

अन्दर हाफ ऊपर से फुल
कम हैं डेस्क और बहुत सारे टूल
इन सबका बहुत ज्यादा है मूल्य
आये टीचर क्लास गया खुल
अगल बगल हैं बहुत सारे फूल
रस्ते में मिलता है एक पुल
दिल कर रहा था कि बस से जाएँ ,
लेकिन बस गया खुल
बगल के एक वृक्ष पर रहती है बुल-बुल
एक ने कहा चल झुलुआ झूल
मैंने बोला आते है , और गए भूल
एक किलो चीनी एक बाल्टी में गया घूल
हमारे स्कूल के अलग हैं रुल
बस को छुआ तो गया धुल
नोट- ये कविता मेरे भाई ने लिखी है.