गुरुवार, 9 सितंबर 2010

आपकी सलाह

आपकी सलाह,मेरे प्रेरणा
मैं जो कुछ भी हूँ,आपके बदौलत बना।
आप माने न माने ,किसी दिन पड़ेगा मानना।
अगर आप ये चिराग जलाये न होते,
तो पता नही हम कितने पिछड़े होते,
पिछड़ा तो आज भी हूँ,
इसलिए आता हूँ [अन्य पिछड़ा वर्ग] में
देखो मेरे पिछड़ेपन पर हस मत देना
क्योंकि आपकी सलाह , मेरे प्रेरणा ।
मैं जो कुछ भी हूँ , आपके बदौलत बना.

आपकी प्रंशंस

मैं जो कुछ भी लिखता हूँ , उसमे छिपा होता है मेरा आत्मज्ञान
पढ़ कर प्रशंसा करने वाले होते हैं , बहुत बुद्धिमान।
आसन नही होता किसी कि भावनाओं को समझ लेना,
मै कैसा हूँ , इसका निर्णय आप खुद कर लेना।
प्रशंसा पाते-पाते लिखने कि कला विकसित कर रहा हूँ।
प्रशंसा कितनी जरूरी है,ये अब समझ रहा हूँ।
हे!प्रशंसा करने वालों ,किसी क़ी jहूथी प्रशंसा मत किया करो
है किसी में सचमुच की प्रतिभा ,तब प्रशंसा करने में भी मत चुको।
आपकी प्रशंसा के हैं बहुत मायने
क्योंकि ये उस व्यक्ति के होते हैं आईने ।
आपको इससे कुछ मिले न मिले ,
पर ये क्या कम है,आपकी वाणी किसी को प्रेरित करे।

नोट - आप ये न समझ ले कि [प्रशंस] लिखकर मैंने गलती कि है,क्योंकि [प्रशंस ] का अर्थ होता है - प्रशंसा करना.

शुक्रवार, 3 सितंबर 2010

गज़ब की सुबह

आहा! गज़ब की आज सुबह
मंद-मंद समीरण बह रहा
ऐसे स्वच्छ वातावरण में
हर चीज़ नया लग रहा
चिढियों के झुण्ड आकाश में
कर रहे मनमोहक शोर
नित्य जैसा नही है
वस्तुतः आज का भोर
द्रुम असमान को छूने को आतुर
तकते ऊपर की ओर होकर व्याकुल
बादलों से भरा आकाश
आज बिलकुल मेरे पास
एक सूखे वृक्ष की टहनियों पर
बैठे चिड़ियों की बोली
बड़ा ही अद्वितीय वह दृश्य
जो आज सुबह मैंने देखी ।
बरसात के मौसम में सोनू अपने घर की छत पर सोता है। जब एक दिन वह सुबह उठता है तो प्रकृति उसे बिलकुल नयी प्रतीत होती है। उसी सुबह का चित्रण यहाँ किया गया है.