गुरुवार, 9 सितंबर 2010

आपकी प्रंशंस

मैं जो कुछ भी लिखता हूँ , उसमे छिपा होता है मेरा आत्मज्ञान
पढ़ कर प्रशंसा करने वाले होते हैं , बहुत बुद्धिमान।
आसन नही होता किसी कि भावनाओं को समझ लेना,
मै कैसा हूँ , इसका निर्णय आप खुद कर लेना।
प्रशंसा पाते-पाते लिखने कि कला विकसित कर रहा हूँ।
प्रशंसा कितनी जरूरी है,ये अब समझ रहा हूँ।
हे!प्रशंसा करने वालों ,किसी क़ी jहूथी प्रशंसा मत किया करो
है किसी में सचमुच की प्रतिभा ,तब प्रशंसा करने में भी मत चुको।
आपकी प्रशंसा के हैं बहुत मायने
क्योंकि ये उस व्यक्ति के होते हैं आईने ।
आपको इससे कुछ मिले न मिले ,
पर ये क्या कम है,आपकी वाणी किसी को प्रेरित करे।

नोट - आप ये न समझ ले कि [प्रशंस] लिखकर मैंने गलती कि है,क्योंकि [प्रशंस ] का अर्थ होता है - प्रशंसा करना.

2 टिप्‍पणियां:

  1. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
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