मंगलवार, 5 अक्तूबर 2010

मेरी ख़ुशी

मेरे इतने दिनों कि जिंदगी में ,मै आज जैसा भी हूँ ,खुश हूँ। कुछ दुःख भी हैं ,पर इस ख़ुशी के सामने तुच्छ हैं.हमको खुश रखने में बहुत लोगों का हाथ है। किसी बच्चे कि ख़ुशी में उसके घरवालों का हाथ तो होता ही है,साथ ही साथ कुछ अन्य लोगों ने हमें बहुत मदद की। जिनके बदौलत मै आज इतना खुशहाल हूँ.कुछ अन्य log jinhone हमें ख़ुशी प्रदान की वे इस प्रकार हैं- १.चाचा -चाची, २.मौसा-मौसी , ३.एवं पास-पढ़ोस के लोग.स्कूल के दिनों में जब मैं पारिवारिक कारणों से दुखी रहता था,तब मेरे दोस्त मेरी हरसंभव सहायता किया करते थे एवं दुःख में भागीदार होते थे.ऐसे दोस्तों में मिथलेश अग्रणी है। उसके आलावा और कई दोस्त हैं जिन्होंने मेरी बड़ी सहायता की। उन्ही दोस्तों में सुजीत ,कृष्ण ,हरी ,अजय ,अविनाश, अवधेश, तरुण भैया, पवन भैया,रामकेवल एवं संजय उल्लेखनीय हैं.जब मैं नवोदय विद्यालय से निकल गया तब नितीश कुमार आर्य ने हमें कशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रवेश दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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